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मोतीलाल नेहरू |
जन्म : 6 मई 1861
पिता : गंगाधर
माता : जीवरानी
निधन : 6 फरवरी 1931
शिक्षा : मैट्रिक कानपुर, बी.ए. मुईर सेन्ट्रल कॉलेज इलाहाबाद
पुस्तक : द वॉयस ऑफ फ्रीडम
जीवन परिचय :
मोतीलाल नेहरू के दादा जी लक्ष्मी नारायन मुगल कोर्ट दिल्ली में ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रथम वकील थे। उनके पिता गंगाधर पुलिस अफसर थे और 1857 के विद्रोह के समय वे दिल्ली में थे। इसके बाद वे आगरा में आकर बस गये। मोतीलाल नेहरू का जन्म उनके पिता की मृत्यु के तीन माह बाद आगरा में हुआ।
मोतीलाल का बचपन खेत्री(राजस्थान) में बीता जहॉं पर उनके बडे़ भाई नन्दलाल दीवान थे। सन 1870 में नन्दलाल ने वकील की परीक्षा उत्तीर्ण की और वकालत करने के लिए वापस आगरा आ गये। और वहॉं पर वकालत आरंभ कर दी बाद में हाईकोर्ट के इलाहाबाद स्थानांतरण के साथ वे इलाहाबाद आकर बस गये।
मोतीलाल ने अपनी मैट्रिक तक की शिक्षा कानपुर से तथा बी.ए. की शिक्षा मुईर कॉलेज इलाहाबाद से प्राप्त की। सन 1883 में उन्होंने वकील की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की जिसमें उन्होने प्रथम स्थान हासिल किया और कानपुर में ही वकालत आरंभ कर दी तीन वर्ष वकालत करने के बाद वे अपने बडे भाई नन्दलाल के पास हाई कोर्ट में वकालत करने के लिए इलाहाबाद आ गये।
सन 1889 में उनकी पत्नी स्वरूप रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिनका नाम जवाहर लाल नेहरू था। उनकी दो पुत्री स्वरूप ( विजयलक्ष्मी पंडित ) तथा कृष्णा (कृष्णा हठीसिंह) का जन्म क्रमश: 1900 और 1907 में हुआ।
सन 1900 में उन्होने इलाहाबाद में एक मकान खरीदा जिसका नाम ''आनन्द भवन '' रखा।
उन्न्होने यूरोप की कई बार यात्रा की वे पश्चिमी विचारों तथा वहॉं के रहन-सहन से बहुत प्रभावित थे उन्होने कैम्ब्रिज से ''बार ऐट लॉ'' की उपाधि ली और अंग्रेजी न्यायालयों में वकील के रूप में कार्य किया। सन 1909 में ग्रेट ब्रिटेन के प्रीवी कॉन्सिल में वकील बनने की स्वीकृति मिली इसके साथ ही वे कानूनी पेशे में शिखर पर पहुँच गये । सन 1910 में संयुक्त प्रान्त की विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।बाद में वे 'इलाहाबाद नगरपालिका परिषद्' तथा 'भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस' के सदस्य बने।
प्रथम विश्वयुद्ध के आरंभ होने के बाद लोगों में असंतुष्टि के कारण 'होमरूल आन्दोलन' और अधिक तेज हो गया। मोतीलाल नेहरू ने इस आन्दोलन में भाग लिया और इलाहाबाद की होमरूल आन्दोलन की अघ्यक्षता की। उन्होने 1918 में 'बोम्बे कॉग्रेस' में भाग लिया और ''मोर्ण्टग्यू- चेम्सफोर्ड '' अधिनियम में सुधार की मांग करने लगे। 5 फरवरी 1919 को उन्होने ''द इण्ड़ीपेण्डेण्ट''( The Independent) नामक समाचार पत्र निकाला।
मोतीलाल नेहरू महात्मा गॉंधी के भारतीय राजनीति में आगमन के बाद उनसे बहुत प्रभावित हुऐ। जलियॉंवाला हत्याकाण्ड व रॉलेट एक्ट अधिनियम के तहत लागू होने वाले मार्शल लॉ के कारण कई बेगुनाह लोगो को गिरफ्तारी के बाद उनका ब्रिटिश सत्ता से विश्वास उठ गया। जलियॉंवाला हत्याकाण्ड की जॉंच के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक आयोग की नियुक्ति की सिफारिस की लेकिन कॉंग्रेस ने इसका विरोध किया और स्वयं की जॉंच समिति नियुक्त की । महात्मा गॉंधी, मोतीलाल नेहरू, चित्तरंजन दास इसके सदस्य थे।
उन्होने कॉंग्रेस के अमृतसर अधिवेशन(1919) की अध्यक्षता की । सन 1923 में देशबन्धु चित्तरंजन दास के साथ कॉंग्रेस पार्टी से अलग होकर अपनी ''स्वराज पार्टी'' का गठन किया। सन 1928 में उन्हे पुन: भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की । इसी वर्ष कॉंग्रेस द्वारा स्थापित भारतीय संविधान आयोग के अध्यक्ष बने इसी आयोग ने नेहरू रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
सन 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ती हुई तब मोतीलाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत के संविधान का प्रारूप तैयार कने के लिए कहा गया। 19 मई 1928 को तीसरा सर्वदलीय सम्मेलन बम्बई में डॉ अंसारी की अध्यक्षता में हुआ , जिसमें मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक कमेठी नियुक्त की गई। नेहरू समिति ने 28 अगस्त 1928 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसे लखनऊ में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में स्वीकार किया गया। इस रिपोर्ट में उन्होने भारत को एक अधिराज्य (डोमिनियन) बनाने की सिफारिस की थी।
6 फरवरी 1931 को स्वास्थ्य कारणों के चलते उनकी मृत्यु हो गई।
मुख्य बिन्दु :
- सन 1919 में 'द इंडिपेण्डेण्ड' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया।
- मोतीलाल नेहरू न कॉंग्रेस के दो अधिवेशनों अमृतसर अधिवेशन (1919) तथा कोलकत्ता अधिवेशन (1928) की अध्यक्षता की ।
- सन 1923 में मोतीलाल नेहरू ने चित्तरंजन दास के साथ ''स्वराज पार्टी'' की स्थापना की।
- जलियॉंवाला काण्ड की जॉंच के लिए गठित समिति के सदस्य थे। ( महात्मा गॉंधी , मोतीलाल नेहरू, चित्तरंजन दास )
- सन 1928 में कॉग्रेस द्वारा स्थापित भारतीय संविधान आयोग के अध्यक्ष बने । इसी आयोग नेहरू रिपार्ट प्रस्तुत की ।
नेहरू रिपार्ट के कुछ बिन्दु इस प्रकार है-
- भारत को अधिराज्य (डोमिनियन) का दर्जा दिया जाये। इसका स्थान ब्रिटिश शासन के अधीन अन्य उपनिवेशों के समान हो।
- भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा लेकिन अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक हितों के संरक्षण का अधिकार होगा।
- मौलिक अधिकारों की मॉंग जिसमें महिलाओं को समान अधिकार, संघ बनाने की स्वतंत्रता एवं वयस्क मताधिकार जैसी मॉंगे थी।
- 'हिन्दुस्तानी' को संघ की भाषा के रुप में रखा गया। प्रांतो में मुख्य भाषा अधिकारिक भाषा हो।
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